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 🔮मानव कल्याण हेतु संत रामपाल जी महाराज का संघर्ष व त्याग🔮


17 फरवरी 1988 को संत रामपाल जी महाराज को स्वामी रामदेवानंद जी महाराज से दिक्षा मिली। 

इस शुभ दिन को संत भाषा में आध्यात्मिक जन्म दिवस ( बोध दिवस) कहा गया है।



सन 1994 में अपने पूज्य गुरु देव स्वामी रामदेवानंद जी महाराज से नामदान करने की आज्ञा प्राप्त हुई। भक्ति मार्ग में लीन होने के कारण, मानव कल्याण के लिए संत रामपालजी महाराज ने अपनी जे.ई. की सरकारी पोस्ट से त्यागपत्र दे दिया था। 

संत रामपाल जी महाराज जी का संघर्ष शुरू होता है। सन 1994 के बाद संत रामपाल जी महाराज जी जूनियर इंजीनियर की नौकरी और खुशहाल परिवार को छोड़ कर पूरे विश्व की आत्माओं को जगाने में लग गए। उसके बाद संत रामपाल जी महाराज जी ने दिन रात एक करके भक्त समाज को जागरूक किया और भटकी हुई आत्माओं को मोक्ष का रास्ता दिखाते हुए कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।


सत्य ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने के लिए संत रामपाल जी महाराज जी ने गांव-गांव, नगर-नगर शहर में दिन रात कभी पैदल, कभी साईकिल, कभी बस, ट्रेन, बाईक, कार में चलकर सत्संग किये व नकली गुरुओं द्वारा फैलाये गए अज्ञान को जनता के रूबरू किया। जिससे उन्हें नकली गुरुओं के बहकावे में आये श्रद्धालुओं के घोर विरोध का सामना करना पड़ा। लेकिन संत रामपाल जी महाराज जी ने अपने इस अनमोल मिशन को जारी रखा व सत्य ज्ञान को मानने पर भक्त समाज को मजबूर कर दिया।


 आसानी से जनता तक सत्य प्रमाणित ज्ञान पहुंचाने के लिए संत रामपाल जी महाराज जी ने सभी संतों को आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा के लिए निमंत्रण भेजे ताकि सत्य क्या है, जनता इसे खुद अपनी आंखों से देखे। लेकिन किसी भी संत ने इस निमंत्रण को स्वीकार नहीं किया जिसके कारण प्रोजेक्टर के माध्यम से लोगों को सच्चाई से परिचित करवाने में संत रामपाल जी महाराज जी को लंबा समय लगा।

 मानव समाज पर परोपकार करते हुए 20-20 घंटों तक दिन रात कार्य करके सत्यज्ञान युक्त अनमोल पुस्तकें लिखी और करोड़ों पुस्तकें आम समाज में मुफ़्त वितरित की ताकि भोली जनता भगवान की सत्य महिमा जानकर, उसे पहचानकर अपना कल्याण करा सके।

 

अलग-अलग पंथों द्वारा फैलाये गए अज्ञान के किलों का नाश करने के लिए संत रामपाल जी महाराज जी को घोर विरोध का सामना करना पड़ा। अपने जीवन के कितने कीमती वर्ष जेल में भी बिताने पड़े सन् 2006 में झूठे मुकदमे में 21 महीने जेल में रहकर आये और फिर 2014 नवंबर से जेल में हैं लेकिन फिर भी उन्होंने इस अद्वितीय कार्य को सिरे तक पहुंचाया। आज उनका ज्ञान भारत देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जोरों शोरों पर फैल रहा है जिससे आज सर्व भगत समाज को सतभक्ति सुलभ हुई।


बेटियों को सुखी करने के लिए दहेज प्रथा रूपी दानव को समाप्त करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज जी के तत्वज्ञान से प्रभावित होकर उनके हज़ारों शिष्य दहेज मुक्त शादी कर रहे हैं। जिससे बेटियाँ दहेज प्रथा के कारण प्रताड़ित होने से बचेंगी।


वर्तमान में सिर्फ संत रामपाल जी महाराज ही हैं जो शास्त्र अनुकूल सतभक्ति विधि से भक्त समाज को दहेज, नशा, पाखंड, भ्रष्टाचार, छुआछूत, रिश्वतखोरी व काल के दुखों से बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।



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